Saturday, 28 May 2016

LAW OF DIMINISHING MARGINAL UTILITY

LAW OF DIMINISHING MARGINAL UTILITY

Law of diminishing marginal utility states that as a person keeps increasing his consumption of one commodity more and more,keeping consumption of other commodities constant,the utility will go on declining with consumption of every additional unit.

Diminishing means declining or decreasing.Marginal means additional.Marginal utility means additional satisfaction from consumption of additional unit.

For example:Suppose a person is hungry and he have oranges.When he will consume 1st orange his satisfaction or utility will be maximum,Then he eats 2nd orange,his satisfaction will decrease in comparison to 1st one but he will still enjoy eating that orange.Now he eats third orange,his satisfaction will decrease.Now suppose he keeps on eating his 4th,5th,6th....oranges.What will happen?His satisfaction at one stage will be 0 and after that his satisfaction will be negative that is he will start to hate eating orange.This is law of diminishing marginal utility.

We cannot measure satisfaction or utility in numerical terms,but hypothetically we take utils as ordinal utility measurement units.

















In table,till 4th unit consumption the marginal utility derived is decreasing with each additional unit.On 5th unit the marginal utility is 0 after this point the marginal utility is negative.

सीमान्त उपयोगिता क्षीणता का नियम

इस नियम के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी वस्तु का सेवन करता रहता है लगातार बिना किसी अन्य वस्तु के सेवन किए तब हर अतिरिक्त वस्तु के सेवन के साथ उसकी संतुष्टि कम होती जाएगी।

उदहारण  के लिए यदि कोई भूखा व्यक्ति संतरे खाता है तो जब वह पहला संतरा खाएगा तब उसे सबसे अधिक संतुष्टि होगी, अगले संतरे पर पहले वाले से कम संतुष्टि होगी।तीसरे पर उससे कम और हर अगले संतरे के साथ कम होती जाएगी। एक समय पर संतुष्टि शुन्य हो जाएगी और उसके बाद नेगेटिव।

यही सीमान्त उपयोगिता क्षीणता का नियम है।

ऊपर दिए गए चित्र में प्रत्येक वस्तु के सेवन के साथ संतुष्टि कम हो रही है। संतुष्टि को हम अंको में नहीं नाप सकते पर आसानी के लिए हमने यूटिलस को नापने की यूनिट मान लिया है। 


Friday, 27 May 2016

EQUILIBRIUM CONDITION

EQUILIBRIUM CONDITION FOR AN ECONOMY

In economics,equilibrium condition is a state where economic forces such as demand and supply are equal.It means quantity demanded and quantity supplied are equal at the point of equilibrium.

In simple words,Consumers wants more quantity at lower prices whereas Sellers wants to sell more quantity at higher prices,so at what quantity and price the suppliers should sell at which consumers would buy?What is the quantity and price in which needs of both are satisfied?The answer is equilibrium quantity and equilibrium price.

But how do we calculate equilibrium quantity and price?

Equilibrium condition satisfies needs of both supplier and consumer.The point at which demand and supply curves intersect each other is called the equilibrium point.At this point Demand=Supply.



















In figure,point E is the equilibrium point.At point E demand=supply.

Equilibrium quantity =Q*
Equilibrium Price= P*

At Price P* and Quantity Q*,sellers wants to sell that consumers wants to buy.


But what if the economy is above or below the equilibrium point?

 

















Suppose the economy is working at point A,here supply is more than demand.It means seller is supplying more that is demanded,so he will bear extra cost.If he reduce his supply his cost will reduce and profits will increase.So he will supply that quantity that is demanded which is at point E.

Similarly, at point B supply is less than what is demanded.If the supplier will increase its supply he will earn more profits,so he will increase his supply till it reaches point E.

Therefore an economy works at equilibrium point.

अर्थव्यवस्था संतुलन 

मांग और पूर्ती की ऐसी व्यवस्था जिससे  ग्राहक और विक्रेता को सबसे अधिक फायदा हो और इनमे  संतुलन बना रहे इस स्तिथि को अर्थव्यवस्था संतुलित स्तिथि कहते है।

ग्राहक कम मूल्य में अधिक वस्तु की मात्रा की इच्छा करता है जबकि विक्रेता अधिक मूल्य में अधिक वस्तु बेचना चाहता है। तो ऐसी कौनसी मात्रा और कौनसा मूल्य हो जिसमें ग्राहक और विक्रेता दोनों ही खुश हो?

यह स्तिथि संतुलित बिंदु पर पूरी होती है। इस बिंदु पर मांग = पूर्ती होती है।

कृपया पहली तस्वीर उपर  देखें। 

इस चित्र में E सन्तुलित बिंदु है।
P* संतुलित मूल्य है
Q* संतुलित मात्रा है

E बिंदु पर विक्रेता वह  बेचना चाहता है जो ग्राहक खरीदना चाहता है।

लेकिन क्या होगा अगर व्यवस्था संतुलित नहीं है?


मान लीजिए व्यवस्था बिंदु A  पर है। इसमें विक्रेता ज़्यादा सामान बेचना चाहता है जबकि मांग कम है। इस कारण विक्रेता का खर्च बढ़ेगा और उसका लाभ कम होगा। तब विक्रेता अपनी सप्लाई कम करेगा जब तक उसकी मांग और सप्लाई बराबर न हो जाए।

उसी तरह यदि स्तिथि B पर है, तो मांग ज़्यादा है और विक्रेता की सप्लाई कम। यदि विक्रेता सप्लाई बढ़ता है बढ़ाता है तो उसको और अधिक लाभ होगा। वह अपनी सप्लाई तब तक बढ़ाता रहेगा जब तक मांग के बराबर न हो जाए।  

इसी कारण अर्थव्यवस्था संतुलित बिंदु पर ही काम करती है।





















Thursday, 26 May 2016

DEMAND CURVE

Demand Curve

Demand curve is a graphical representation of inverse relationship between quantity of goods demanded and its price.

Inverse relationship means opposite relationship.When the price increases consumers demand less quantity of a commodity and vice-versa.Demand curve is downward sloping.




















In the figure above,demand curve is shown.It is downward sloping because of inverse relationship between price and quantity.At higher price P1, less quantity Q1 is demanded and at lower price P, more quantity Q is demanded.

But why does this happen?Why consumers demand more in less price and vice versa?This is because of three reasons:

1.Law of Diminishing Marginal Utility
2.Income Effect
3.Substitution effect


मांग वक्र 

मांग वक्र के द्वारा हम प्रदर्शित करते है की  वस्तु के दाम और उसकी मात्रा की मांग में  उल्टा सम्बन्ध होता है। 
उलटे सम्बन्ध का अर्थ है की यदि किसी वस्तु के मूल्य अधिक होंगे तो उसकी मांग कम होगी और यदि उसके मूल्य कम है तो उसकी मांग ज़्यादा होगी, बाकि सभी मांग परिवर्तण के कारण नहीं बदलने चाहिए।

 जब कोई भी वस्तु महँगी  हो जाती है तो हम उसको कम  खरीदते है परन्तु जब वह सस्ती हो जाती है तो हम उसको ज़्यादा मात्रा में खरीदते है।

मगर ऐसा क्यों होता है ? कम दाम पर ग्राहक ज़्यादा  की मांग क्यों करता है ?इसके ३ प्रमुख कारण है :
1 . सीमांत उपयोगिता क्षीणता का नियम
2 .आय/आमदनी प्रभाव
3 . स्थानापन / प्रतिस्थापन प्रभाव

Wednesday, 25 May 2016

Supply Curve

Supply Curve:Explanation

Supply curve is a graphical representation of direct relationship between quantity demanded and price of a commodity.

Direct relationship between quantity and price shows that the producer is willing to sell more in high price and vice versa.

Demand curve is for consumers and supply curve for producers.Please don't get confused between stock and supply.Producers wants to have more stock in less cost but supply curve shows that he wants to sell more in high price and less in low price.


In figure, at higher price P1 the seller is willing to sell larger quantity Q1 and at lower price P, the seller is willing to sell lesser quantity Q.This shows direct relationship of supply curve.


पूर्ती वक्र :व्याख्या 

पूर्ती वक्र वस्तु को विक्रेता उसके मूल्य के सीधे सम्बन्ध में बेचना चाहता है इसको प्रदर्षित करते है। इसका अर्थ है की कोई भी विक्रेता वस्तु अगर महॅंगी बिकेगी तो ज़्यादा और अगर सस्ती बिकेगी तो कम मात्रा में बेचना चाहेगा।

मांग वक्र ग्राहकों के लिए होता  है और पूर्ती वक्र विक्रेताओं के लिए। कृपया भंडार और पूर्ती में भ्रमित ना हो। विक्रेता कम लागत पर ज़्यादा भंडार ज़रूर बनाना चाहेगा लेकिन यहाँ हम वह ज़्यादा दाम पर ज़्यादा और कम दाम में कम मात्रा बेचना चाहेगा की बात कर रहे है।

कृपया तस्वीर ऊपर से देखें। 

तस्वीर में पूर्ती वक्र में सीधा सम्बन्ध दिखाया गया है। ज़्यादा दाम P1 पर विक्रेता ज़्यादा मात्रा Q1 बेचना चाहेगा और कम दाम P पर कम मात्रा Q बेचना चाहेगा।




Tuesday, 24 May 2016

Movement and Shift in Demand Curve.

Movement and Shift in Demand Curve

1.Movement in demand  curve is caused by change in price of the commodity only,keeping other factors constant,

whereas

Shift in Demand is caused by change in any other determinant of demand (Relative goods,Taste of consumers,Income and Other),keeping price of the commodity constant.

2.Movement causes upward or downward movement along the demand curve

whereas

Shift in Demand curve causes rightward or leftward shift of demand curve.

3.For e.g.: Movement can be caused by increase of price of pencils from Rs 5 to Rs 10

Shift can be possible because people starts to prefer pen over pencils.





In figure above,the first image shows movement in demand curve.Suppose Price decreases from P to P1, then the Quantity demanded increases from Q to Q1.This is downward movement in demand curve.Similarly if the Price increases from P1 to P, then the Quantity demanded decreases from Q1 to Q showing upward movement along the demand curve.

Now in second image, suppose initially the consumer demands Q quantity of goods in P price, now the income of the consumer increases, and now consumer demands more of goods Q" shifting the demand curve rightward.Price of the commodity P is still same.The change in demand is due to other factor than price, causing shift not movement.Similarly, if the income decreases consumer will start to demand less quantity Q', shifting demand curve leftward.



मांग वक्र का चलना एवं खिसकना 


1. मांग वक्र में चलाव केवल उसके दाम में बदलाव के कारण होता है , बाकि सभी कारणों  में कोई बदलाव नहीं होता

जबकि

मांग वक्र तब खिसक जाता है जब मांग में बदलाव उसके किसी अन्य कारक में बदलाव के कारण हो, इसमें वस्तु के दाम में कोई बदलाव नहीं होता।


2. मांग वक्र में चलाव ऊपर या नीचे होता है

जबकि

मांग वक्र में खिसकाव दायें या बायें होता है।


3.उदहारण : यदि किसी वस्तु जैसे की पेंसिल  के दाम यदि 5 रूपए से 10 रूपए हो जाते है तो उसमे मांग घटेगी  और मांग वक्र में नीचे की ओर चलाव होगा।

यदि ग्राहक पेंसिल की जगह कलम पसंद करने लगेंगे तो मांग वक्र में बाएं ओर खिसकाव होगा।


कृपया तस्वीर ऊपर से देख लें। 


पहली तस्वीर में दाम घट के  P से P1 यदि होती है तो उसकी मांग Q से Q1 बढ़ जाएगी। उसी तरह यदि दाम बढ़ जाते है P1 से P तो मांग घट जाएगी Q1 से Q. यह मांग वक्र में चलाव दिखाके ही प्रदर्शित किया जाएगा। 


 दूसरी तस्वीर में उदहारण के लिए समझिए यदि ग्राहक की आमदनी बढ़ जाती है तो वह वस्तु की मांग ज़्यादा करेगा परन्तु वस्तु के दाम में कोई बदलाव नहीं आएगा। तस्वीर में ग्राहक शुरुआत में Q मात्रा की वस्तु की मांग करता है जिसके दाम P  है। यदि उसकी आमदनी बढ़ जाती है तो वह Q" मात्रा की मांग करेगा जबकि दाम वही रहेगा।इसके कारण मांग वक्र दायी ओर खिसक जाएगा।  इसी तरह यदि आमदनी कम हो जाती है तो वह कम मात्रा Q' की मांग करेगा। इससे मांग वक्र बायीं ओर खिसक जाएगा। 

Sunday, 22 May 2016

LAW OF DEMAND

LAW OF DEMAND

Demand for a commodity is inversely proportional to its price,ceteris paribus (other things remaining the same).

In simple words,demand works oppositely to its price,keeping other factors of demand constant.It means when the price of a commodity goes up its demand goes down and vice versa.When a thing becomes expensive we buy less of it and when its price decreases we buy more of it.This is the general LAW OF DEMAND.



 मांग का नियम 

यदि किसी वस्तु के दाम अधिक होंगे तो उसकी मांग कम होगी और यदि उसके दाम कम है तो उसकी मांग ज़्यादा होगी, बाकि सभी मांग परिवर्तण के कारण नहीं बदलने चाहिए ।

 जब कोई भी वस्तु महँगी  हो जाती है तो हम उसको कम  खरीदते है परन्तु जब वह सस्ती हो जाती है तो हम उसको ज़्यादा मात्रा में खरीदते है। यही मांग का नियम है।