Friday, 27 May 2016

EQUILIBRIUM CONDITION

EQUILIBRIUM CONDITION FOR AN ECONOMY

In economics,equilibrium condition is a state where economic forces such as demand and supply are equal.It means quantity demanded and quantity supplied are equal at the point of equilibrium.

In simple words,Consumers wants more quantity at lower prices whereas Sellers wants to sell more quantity at higher prices,so at what quantity and price the suppliers should sell at which consumers would buy?What is the quantity and price in which needs of both are satisfied?The answer is equilibrium quantity and equilibrium price.

But how do we calculate equilibrium quantity and price?

Equilibrium condition satisfies needs of both supplier and consumer.The point at which demand and supply curves intersect each other is called the equilibrium point.At this point Demand=Supply.



















In figure,point E is the equilibrium point.At point E demand=supply.

Equilibrium quantity =Q*
Equilibrium Price= P*

At Price P* and Quantity Q*,sellers wants to sell that consumers wants to buy.


But what if the economy is above or below the equilibrium point?

 

















Suppose the economy is working at point A,here supply is more than demand.It means seller is supplying more that is demanded,so he will bear extra cost.If he reduce his supply his cost will reduce and profits will increase.So he will supply that quantity that is demanded which is at point E.

Similarly, at point B supply is less than what is demanded.If the supplier will increase its supply he will earn more profits,so he will increase his supply till it reaches point E.

Therefore an economy works at equilibrium point.

अर्थव्यवस्था संतुलन 

मांग और पूर्ती की ऐसी व्यवस्था जिससे  ग्राहक और विक्रेता को सबसे अधिक फायदा हो और इनमे  संतुलन बना रहे इस स्तिथि को अर्थव्यवस्था संतुलित स्तिथि कहते है।

ग्राहक कम मूल्य में अधिक वस्तु की मात्रा की इच्छा करता है जबकि विक्रेता अधिक मूल्य में अधिक वस्तु बेचना चाहता है। तो ऐसी कौनसी मात्रा और कौनसा मूल्य हो जिसमें ग्राहक और विक्रेता दोनों ही खुश हो?

यह स्तिथि संतुलित बिंदु पर पूरी होती है। इस बिंदु पर मांग = पूर्ती होती है।

कृपया पहली तस्वीर उपर  देखें। 

इस चित्र में E सन्तुलित बिंदु है।
P* संतुलित मूल्य है
Q* संतुलित मात्रा है

E बिंदु पर विक्रेता वह  बेचना चाहता है जो ग्राहक खरीदना चाहता है।

लेकिन क्या होगा अगर व्यवस्था संतुलित नहीं है?


मान लीजिए व्यवस्था बिंदु A  पर है। इसमें विक्रेता ज़्यादा सामान बेचना चाहता है जबकि मांग कम है। इस कारण विक्रेता का खर्च बढ़ेगा और उसका लाभ कम होगा। तब विक्रेता अपनी सप्लाई कम करेगा जब तक उसकी मांग और सप्लाई बराबर न हो जाए।

उसी तरह यदि स्तिथि B पर है, तो मांग ज़्यादा है और विक्रेता की सप्लाई कम। यदि विक्रेता सप्लाई बढ़ता है बढ़ाता है तो उसको और अधिक लाभ होगा। वह अपनी सप्लाई तब तक बढ़ाता रहेगा जब तक मांग के बराबर न हो जाए।  

इसी कारण अर्थव्यवस्था संतुलित बिंदु पर ही काम करती है।





















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